आखिर जब हम बिहार की बात करते हैं, या बिहार के पिछड़ेपन की तो सरकारों को हमेशा कोसते नजर आते है। मगर जब हम सरकार के तरफ एक अंगुली दिखाते हैं, तो ये क्यों भूल जाते है कि बाकी की अंगुलियाँ हमारे तरफ भी है।
1. क्या यह सत्य नहीं है कि अभी तक जितनी भी सरकारें बिहार में थी वो हमने चुनी थी, हमने विकास के ऊपर चुनाव में जाति और अपराध को चुना?
2.क्या यह सत्य नहीं है कि जो गलत के खिलाफ विद्रोह कि भावना हम बिहारियों में थी, उसको हमने हमेशा के लिए सुला दिया, जो हमें चन्द्रगुप्त मौर्य, चाणक्य, महात्मा गांधी, राजकुमार शुक्ल, डॉ॰ राजेन्द्र प्रसाद, जयप्रकाश नारायण जैसे लोगों ने सिखाया था वो शिक्षा हम भूल गए?
3. क्या यह सत्य नहीं है कि हम अपने सांस्कृतिक धरोहरों को भूल गए और दूसरों के धरोहरों पर ज्यादा ध्यान दिया, हम जनक, सीता, वाल्मीकि, अशोक, बुद्ध, महावीर और भी न जाने उनसे जुड़े कितने ऐसे धरोहर हैं उसको तो भूल गए, मगर काठमाण्डू, भूटान एवं अन्य राज्यों में जाकर उसके बौद्ध स्तूपों/मंदिरों/ऐतिहासिक स्थलों के सामने फोटो खिंचवाना नहीं भूलते?
4. क्या यह सत्य नहीं है कि हमने अपनी लोक भाषा और संस्कृति को हेय दृष्टि से देखा, कभी उसकी चर्चा नहीं करते, जबकि दूसरे राज्यों की लोक संस्कृति हमें स्वर्ग में ले जाती प्रतीत होती है उसके बारे में हम जी-भर के चर्चा करते हैं?
5. क्या यह सत्य नहीं है जब बिहार को बदनाम किया जाता है, तो वो हम ही जो अपनी पहचान छुपाते अपने गर्ल-फ्रेंड, बीबी के पल्लू में नजर आते है, हम कभी उसका खुल कर विरोध नहीं करते, हम कभी यह नहीं बताते हम आईएएस है और बिहार से है, हम वैज्ञानिक है और बिहार से है, हम डॉक्टर है और बिहार से है, हम शेफ है और बिहार से है, हम उद्द्यमी है और बिहार से है?
6. क्या यह सत्य नहीं है, हम बिहार के लिए कुछ नहीं करना चाहते, हम चाहते है तो कैसे भी यहाँ से दूर भागने को, बेंगलुरु, पुणे, दिल्ली, नोएडा जैसे जगहों पर बसने की, और भूल जाते है, इतिहास उसे हमेशा खत्म कर देता जो अपने जड़ों से दूर भागता है?
7. क्या यह सत्य नहीं है, बिहार के लोकगीतों की चर्चा तो हम नहीं कर सकते क्योंकि उसमें राम और सीता बसे हैं, आयुर्वेद बसा है, विज्ञान बसा है, मगर हमें विदेश के गायकों में राग और रस नजर आता है, भोजपुरी के कुछ कलाकारों के भौंडे गीतों को हम अपनी संस्कृति का नाम दे देते है और उससे दूर जाने को सब को प्रेरित करते है, और यह नहीं बताते कि भोजपुरी क्या है?
ऐसे अनगिनत चीजें है जो दोषी हमें ही बताती है कि इस पिछड़ेपन के जिम्मेदार हम ही है। जरूरत है खुद के आंकलन की, क्या हम जो कर रहे उस पर क्या हमारा भविष्य उस पर गर्व कर पाएगा, आखिर ऐसा क्या करें जो हमारा इतिहास, हमारी संस्कृति सब बची रह सके। हम सिर्फ एक ही बात कहना चाहते है, सरकार चुने काम को लेकर न कि जाति, अपराध के आधार पर। हम अपने इतिहास, संस्कृति, लोकभाषा, लोकगीत, धरोहरों को सबके सामने लाये। जरूरत है सबको बिहार दिखाने कि, यह दिखाने कि यह बिहार इतना छोटा नहीं है यह बिहार अशोक का बिहार है जिसकी संस्कृति हिमालय के दक्षिण के लगभग प्रत्येक क्षेत्र में व्याप्त है चाहे वो अफगानिस्तान हो या श्रीलंका या म्यांमार या फिर चीन। क्यों कि अशोक भी यही के थे, सीता भी यही की थी, बुद्ध भी यही के।
आप सब से एक आग्रह है, पाटली अर्बनोक्रेट्स टीम का कि बिहार में आप जहां भी जाएँ वहाँ के धरोहरों को सबके सामने लाने की चेष्टा सोशल मीडिया के माध्यम से करें, अपने घर में हो रहे शादी-विवाह एवं अनेक उत्सवों पर हमारे घर की महिलाओं द्वारा गाए जाने वाले गानों को सोशल मीडिया पर डाले, झिझिया जैसे लोकनृत्यों को दिखाने की, मिथिला, टिकुली, सिक्की जैसे कलाओं को सामने लाएँ, आप के क्षेत्र में यदि कुछ अनूठा कार्य हो रहा हो जैसे किशनगंज में चाय के बागान, ड्रैगन फ्रूट की खेती को सबके सामने लाएँ, अपने क्षेत्र में होने वाले मालदा, ज़र्दा, चौरीया, करेलिया, बिज्जू, सबूजा जैसे आमों के बारे में लोगों को बतायें, यदि हममें से कोई उत्कृष्ट जगहों पर है तो उस पर गर्व करें न कि छुपाएँ। क्योंकि यह काम सरकार नहीं कर सकती यह सिर्फ आप और हम ही कर सकते है। तो आइये बिहार की बात करें।
यदि आप हमसे थोड़े से भी सहमत है तो इस पोस्ट को अपने बिहार के मित्रों में शेयर तो करें ही साथ में #BiharUday, #Bihar के साथ एक छोटा सा वीडियो, फोटो शेयर करना न भूले और उसके साथ बिहार की कहानी कहना न भूले। क्योंकि
आप
ही तो बिहार है।
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